अरेंज मैरिज Aaru और Sona की कहानी
शादी केवल दो व्यक्तियों का नहीं बल्कि दो परिवारों का संगम होती है। भारत में आज भी अरेंज मैरिज को एक खास जगह दी जाती है। अरेंज मैरिज में अक्सर ऐसा होता है कि लड़का और लड़की एक-दूसरे को ज्यादा जानते नहीं, उनकी पसंद-नापसंद अलग होती हैं, लेकिन धीरे-धीरे समझ और अपनापन रिश्ते को मजबूत बना देता है।
आज की इस कहानी में हम बात करेंगे Aaru और Sona की, जिनकी पसंद और आदतें शुरू में बिल्कुल अलग थीं, लेकिन उन्होंने एक-दूसरे को अपनाकर अपने रिश्ते को इतना खूबसूरत बना दिया कि उनकी कहानी अरेंज मैरिज का एक शानदार उदाहरण बन गई।
पहली मुलाक़ात
हर अरेंज मैरिज की तरह इस कहानी की शुरुआत भी रिश्ता देखने से हुई।
Aaru, एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर था। उसका स्वभाव गंभीर और शांत किस्म का था। उसे किताबें पढ़ना, घर में समय बिताना और एक स्थिर जीवन पसंद था। दूसरी ओर, Sona एक बैंक में काम करती थी। उसका स्वभाव चुलबुला था, उसे घूमना-फिरना, नए-नए व्यंजन ट्राई करना और दोस्तों के साथ समय बिताना बहुत पसंद था।
जब दोनों परिवार पहली बार मिले तो माहौल थोड़ा औपचारिक था। Aaru सफेद शर्ट और नीली पैंट में बैठा था, जबकि Sona पीले सलवार-कुर्ते में हल्की मुस्कान के साथ सबको चाय परोस रही थी।
पहली मुलाक़ात में Aaru ज्यादा बात नहीं कर पाया, जबकि Sona ने माहौल को हल्का बनाने की कोशिश की। दोनों ने आपस में दस-पंद्रह मिनट बातें कीं। Sona ने पूछा:
"आपको घूमना पसंद है?"
Aaru ने धीरे से कहा:
"थोड़ा-बहुत, लेकिन ज्यादातर घर पर रहना पसंद करता हूँ।"
उसके बाद Aaru ने पूछा:
"आपको क्या करना अच्छा लगता है?"
Sona ने मुस्कुराकर जवाब दिया:
"मुझे शॉपिंग, ट्रेवलिंग और मस्ती करना बहुत पसंद है।"
दोनों ने एक-दूसरे की आँखों में देखा और चुपचाप सोचा – "हम तो बिल्कुल अलग हैं।"
पसंद-नापसंद
पहली मुलाक़ात के बाद परिवार वालों ने हाँ कर दी, लेकिन Aaru और Sona थोड़े असमंजस में थे।
उनकी कुछ और मुलाक़ातें तय हुईं ताकि दोनों एक-दूसरे को बेहतर समझ सकें।
इन मुलाक़ातों में ही दोनों को साफ़-साफ़ महसूस हुआ कि उनकी आदतें और पसंद-नापसंद अलग हैं।
- Aaru को शांति और सादगी पसंद थी।
- Sona को शोर-शराबा और रंग-बिरंगी ज़िंदगी।
एक मुलाक़ात में Sona ने खुलकर कहा:
"Aaru, मुझे लगता है हम दोनों में बहुत फर्क है। मुझे नहीं लगता कि मैं आपकी तरह शांत रह पाऊँगी।"
Aaru ने थोड़ी देर सोचकर जवाब दिया:
"हाँ, फर्क तो है, लेकिन शायद शादी का मतलब यही है कि हम दोनों मिलकर एक-दूसरे के फर्क को अपनाएँ।"
Sona उस दिन पहली बार मुस्कुराई और बोली:
"चलो, देखते हैं आगे किस्मत हमें कहाँ ले जाती है।"
धीरे-धीरे अपनापन
शादी का रिश्ता तभी चलता है जब लोग एक-दूसरे को समझने की कोशिश करें।
Aaru ने Sona की खुशी के लिए धीरे-धीरे उसकी पसंदीदा चीज़ों में रुचि लेना शुरू किया। उसने पहली बार Sona के साथ मॉल जाकर शॉपिंग की। भले ही उसे भीड़ पसंद नहीं थी, लेकिन जब उसने Sona को खुश देखा तो उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ गई।
दूसरी ओर, Sona ने भी Aaru के शांत स्वभाव को समझा। एक दिन उसने कहा:
"तुम्हारे साथ किताबों वाली शामें भी मज़ेदार होती हैं। हर बार शोर ही जरूरी नहीं।"
यहीं से दोनों के बीच एक नई शुरुआत हुई।
परिवार का समर्थन
परिवार वालों ने दोनों को समझाया कि शादी सिर्फ पसंद की समानता से नहीं, बल्कि एक-दूसरे को अपनाने और समझने से चलती है।
Sona की माँ ने उसे कहा:
"बेटी, शादी का मतलब है कि तुम्हें कोई ऐसा मिल जाए जो तुम्हें समझे और अपनाए। बाकी सब आदतें समय के साथ ढल जाती हैं।"
Aaru के पिता ने उससे कहा:
"बेटा, जिंदगी में चुलबुलापन भी जरूरी है। अगर Sona तुम्हें हल्का-फुल्का बना रही है तो ये तुम्हारे लिए अच्छा ही है।"
धीरे-धीरे दोनों को लगने लगा कि शायद ये रिश्ता सही है।
सगाई और रिश्ते की गहराई
सगाई का दिन आया। Aaru ने पहली बार Sona को थोड़ा अलग नज़र से देखा। वह मुस्कुराई तो Aaru को उसकी मासूमियत भा गई। वहीं Sona को Aaru की सादगी और उसकी आँखों की गहराई पसंद आने लगी।
सगाई के बाद दोनों रोज़ाना फोन पर बातें करने लगे। कभी Aaru Sona को ऑफिस से लौटते वक्त कॉल करता, कभी Sona देर रात बातें करती। इन बातों में ही दोनों की नज़दीकियाँ बढ़ने लगीं।
Aaru ने Sona से एक दिन कहा:
"तुम्हारे साथ बातें करने के बाद मुझे लगता है कि शांति और शोर का फर्क इतना बड़ा नहीं है।"
Sona ने हंसते हुए कहा:
"और मुझे लगता है कि हर बार शॉपिंग जरूरी नहीं, कभी-कभी किताबों में भी दुनिया मिल जाती है।"
जैसे-जैसे शादी करीब आई, दोनों की मुलाक़ातें बढ़ीं। कभी कपड़े सिलेक्ट करने, कभी शादी का कार्ड देखने, तो कभी घर की सजावट में दोनों साथ जाते।
Sona को Aaru की जिम्मेदारी निभाने का तरीका पसंद आने लगा। Aaru को Sona की एनर्जी और उत्साह भाने लगा। दोनों को अहसास हुआ कि उनकी अलग-अलग आदतें ही उन्हें खास बना रही हैं।
शादी का दिन आया। Aaru शेरवानी में मंडप पर बैठा था। जब Sona लाल जोड़े में आई तो उसकी मुस्कान देखकर Aaru की आँखें चमक उठीं।
वह हल्के से बोला:
"लगता है अरेंज मैरिज भी कभी-कभी परफेक्ट अरेंजमेंट साबित हो जाती है।"
Sona ने मंद मुस्कान के साथ कहा:
"हाँ, जब दिल से अपनाने का इरादा हो तो कोई रिश्ता अधूरा नहीं रहता।"
मंत्रों के बीच दोनों ने सात फेरे लिए और जीवनभर साथ निभाने का वादा किया।
शादी के बाद का जीवन
शादी के बाद की जिंदगी भी शुरू में आसान नहीं थी।
कभी Aaru को Sona की दोस्तों के साथ देर तक बैठना पसंद नहीं आता था, तो कभी Sona को Aaru का ज्यादा शांत रहना खलता था। लेकिन अब फर्क यह था कि दोनों ने शिकायत करने की बजाय अपनाना सीख लिया था।
धीरे-धीरे, Aaru ने Sona के साथ ट्रेवल करना शुरू किया। उसने अपनी लाइफ में थोड़ी चंचलता ला दी।
वहीं, Sona ने भी किताबें पढ़ने और घर पर सुकून से समय बिताने की आदत डाल ली।
दोनों अब महसूस करने लगे कि शादी का असली मतलब एक-दूसरे को बदलना नहीं, बल्कि अपनाना होता है।
निष्कर्ष
Aaru और Sona की कहानी हमें यह सिखाती है कि अरेंज मैरिज में फर्क होना कोई कमी नहीं है। असली खूबसूरती तब आती है जब दो लोग एक-दूसरे की आदतों और पसंद-नापसंद को अपनाते हैं।
उनकी जिंदगी इस बात का प्रमाण है कि –
“प्यार सिर्फ समानता से नहीं, बल्कि एक-दूसरे को अपनाने और समझने से बढ़ता है।
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