मुंबई की भीड़भाड़ वाली गलियों में रिया नाम की लड़की रहती थी। वो कॉलेज की लाइब्रेरी में किताबों में खोई रहने वाली, मगर चेहरे पर मासूमियत का रंग लिए हुई लड़की थी। रिया का सपना था कि वह एक बड़ी पत्रकार बने और सच की आवाज़ दुनिया तक पहुँचाए।
इसी कॉलेज में अर्जुन नाम का एक लड़का पढ़ता था। स्मार्ट, हैंडसम और हर किसी को अपनी बातों से बाँध लेने वाला। पहली बार दोनों की मुलाक़ात लाइब्रेरी में हुई। अर्जुन ने किताब माँगते हुए मुस्कुराकर कहा –
अर्जुन: "अगर आप ये किताब पहले पढ़ लेंगी तो मुझे भी दीजिएगा। शायद हम दोनों का taste मिलता है।"
रिया: (थोड़ा हँसते हुए) "शायद… या फिर हो सकता है आप सिर्फ बहाना बना रहे हों।"
उस दिन के बाद मुलाक़ातें बढ़ने लगीं। कभी कॉफी शॉप, कभी कॉलेज कैंटीन और कभी मरीन ड्राइव की ठंडी हवाओं में। धीरे-धीरे दोनों को लगा कि ये सिर्फ दोस्ती नहीं, कुछ और है।
अर्जुन और रिया का रिश्ता अब कॉलेज की चर्चाओं का हिस्सा बनने लगा। हर कोई उन्हें "परफेक्ट कपल" कहता। रिया को अर्जुन की देखभाल भरी आदतें पसंद थीं, और अर्जुन को रिया की मासूम सादगी।
एक शाम, मरीन ड्राइव पर बैठे हुए अर्जुन ने रिया का हाथ थामकर कहा –
अर्जुन: "रिया, अगर तुम साथ हो तो मुझे दुनिया से लड़ने का हौसला है।"
रिया: "और अगर कभी दुनिया मुझसे ही छीनने लगे तो?"
अर्जुन: "तो मैं दुनिया छोड़ दूँगा, पर तुम्हें नहीं।"
रिया की आँखें नम हो गईं। उसे लगा कि अर्जुन ही उसका असली हमसफ़र है। उसने अपना पूरा भरोसा और दिल अर्जुन को सौंप दिया।
अब कहानी ने असली मोड़ लेना शुरू किया।
रिया ने महसूस किया कि अर्जुन कभी-कभी फ़ोन कॉल्स छुपाकर बात करता है। देर रात अचानक घर से बाहर निकल जाता, और पूछने पर सिर्फ हँसकर टाल देता।
एक रात रिया ने सवाल किया –
रिया: "अर्जुन, सच बताओ… ये कॉल्स किसकी होती हैं?"
अर्जुन: "रिया… तुम्हें मुझ पर शक है? प्यार में शक जहरीली दीवार होता है। मुझ पर भरोसा रखो।"
रिया ने आँसू पोंछ दिए और सोचा कि शायद वह ज़्यादा सोच रही है। मगर उसके दिल में कहीं न कहीं एक डर बैठ गया था।
रिया को अब अर्जुन की बातों में कई झोल दिखने लगे थे।
कभी अचानक उसका फ़ोन बंद हो जाता, कभी किसी अनजान नाम से मैसेज आता।
एक दिन कॉलेज से लौटते समय रिया ने अर्जुन को देखा—वो किसी लड़की से कैफ़े में बैठा था। रिया ने दूर से देखा कि दोनों हँस-हँसकर बातें कर रहे हैं और अर्जुन उसी अंदाज़ में उसकी आँखों में देख रहा था जैसे कभी रिया को देखता था।
रिया का दिल टूट गया, मगर उसने वहीं जाकर कुछ नहीं कहा।
रात को उसने अर्जुन से पूछा –
रिया: "आज तुम कैफ़े में किससे मिले थे?"
अर्जुन: (गुस्से में) "रिया, अब तुम मेरी जासूसी करोगी? प्लीज़… अगर तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं तो रिश्ता यहीं ख़त्म कर दो।"
रिया चुप रह गई, लेकिन अंदर ही अंदर उसने तय कर लिया कि अब वो सच्चाई सामने लाएगी।
रिया ने अर्जुन के फ़ोन को चुपके से चेक किया। वहाँ नंदिनी नाम की लड़की के साथ दर्जनों चैट थे।
चैट पढ़ते ही उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई।
नंदिनी: “अर्जुन, तुमने कहा था कि रिया बस टाइमपास है। कब उससे छुटकारा पाओगे?”
अर्जुन: “थोड़ा सब्र करो, उसके भरोसे का फ़ायदा उठाकर मैं सब कुछ हासिल कर लूँगा।”
रिया की साँसें तेज़ हो गईं। उसे समझ आ गया कि अर्जुन सिर्फ़ प्यार का दिखावा कर रहा था।
अब सवाल ये था – अर्जुन चाहता क्या है?
रिया ने कुछ और चैट पढ़ीं और पाया कि अर्जुन को रिया के पत्रकारिता के काम और उसके पिता के कॉन्टैक्ट्स से फ़ायदा उठाना था। असल में, अर्जुन एक छोटे गैंग से जुड़ा था और उसे रिया का इस्तेमाल करके बड़े लोगों तक पहुँचना था।
रिया को लगा जैसे उसकी पूरी दुनिया बिखर गई हो। जिस इंसान को उसने अपना सब कुछ माना, वही उसका सबसे बड़ा गुनाहगार निकला।
उस रात उसने अर्जुन से मिलने का नाटक किया।
मरीन ड्राइव पर हवा चल रही थी, और रिया ने अर्जुन की आँखों में सीधे देखते हुए कहा –
रिया: "अगर कभी सच सामने आया तो क्या करोगे?"
अर्जुन: (हँसते हुए) "सच? मैं ही तो तुम्हारा सच हूँ।"
लेकिन रिया के पास अब सबूत थे। उसने अर्जुन की रिकॉर्डिंग कर ली और तय कर लिया कि वो उसकी असली सच्चाई सामने लाएगी।
कहानी अब मोड़ लेने वाली थी—जहाँ प्यार, धोखा और बदला सब एक साथ टकराने वाले थे।
भाग 7 : मास्टरप्लान
रिया जान चुकी थी कि अर्जुन सिर्फ़ एक खिलाड़ी है। लेकिन वो चाहती थी कि अर्जुन की असलियत दुनिया के सामने आए।
उसने अपनी जर्नलिस्ट दोस्त सोनाली से मदद ली।
सोनाली ने कहा –
“रिया, अगर अर्जुन किसी गैंग से जुड़ा है, तो उसके खिलाफ सबूत इकट्ठा करना होगा। वरना वो तुम्हें ही झूठा साबित कर देगा।”
रिया ने अगले कुछ दिनों तक अर्जुन की हर हरकत पर नज़र रखी।
उसने देखा कि अर्जुन रात में अक्सर कहीं अंधेरी गली में जाता था।
वहाँ से लौटकर उसके बैग में नकदी और कुछ अजीब कागज़ात मिलते थे।
एक दिन रिया ने उसका पीछा किया और पाया कि वो एक अवैध डील में शामिल है।
अब रिया को यकीन हो गया—अर्जुन सिर्फ़ एक धोखेबाज़ प्रेमी नहीं बल्कि अपराधी भी है।
रिया ने तय किया कि वो अर्जुन को उसी के खेल में हराएगी।
एक शाम उसने अर्जुन को कॉल किया और मीठे स्वर में बोली –
“अर्जुन, मुझे तुम पर शक करने का अफ़सोस है। चलो, आज मिलते हैं। मैं तुम्हें सरप्राइज़ देना चाहती हूँ।”
अर्जुन खुश हो गया।
मिलने की जगह थी – वही कैफ़े जहाँ उसने पहली बार रिया को धोखा देते हुए नंदिनी से मुलाक़ात की थी।
लेकिन इस बार कहानी पलटने वाली थी—क्योंकि वहाँ छिपे कैमरे थे और सोनाली ने पुलिस को भी सूचना दे दी थी।
रिया ने मुस्कुराते हुए अर्जुन से कहा –
“तो अर्जुन, अब बताओ… मेरे साथ का ‘प्यार’ और नंदिनी के साथ की ‘सच्चाई’ – इनमें से असली कौन है?”
अर्जुन हड़बड़ा गया। तभी स्क्रीन पर उसकी सारी चैट और ऑडियो रिकॉर्डिंग लाइव चलने लगी। पूरा कैफ़े सुन रहा था।
अर्जुन का चेहरा उतर गया। लेकिन वो हार मानने वालों में से नहीं था।
उसने गुस्से में रिया का हाथ पकड़ा और कहा –
“तुम सोचती हो कि मुझे यूँ ही बेनक़ाब कर दोगी? अगर मैं डूबा तो तुम्हें भी साथ ले जाऊँगा।”
तभी पुलिस आ गई।
अर्जुन को पकड़ने की कोशिश हुई, लेकिन वो भाग निकला। अब रिया की ज़िंदगी खतरे में थी क्योंकि अर्जुन ने धमकी दी थी—
“रिया, अगर मेरी दुनिया उजड़ी तो तुम्हारी भी राख कर दूँगा।”
रिया अब सिर्फ़ धोखे की शिकार प्रेमिका नहीं, बल्कि एक योद्धा बन चुकी थी।
उसने ठान लिया कि इस बार खेल का अंत उसी के हाथ होगा।
कुछ हफ़्तों बाद, अर्जुन ने रिया को सुनसान वेयरहाउस में बुलाया।
वहाँ हथियारबंद लोग भी थे।
लेकिन रिया अकेली नहीं आई थी—पुलिस और मीडिया पहले से तैयार थे।
जैसे ही अर्जुन ने रिया पर हमला करने की कोशिश की, अचानक चारों ओर से पुलिस ने घेर लिया।
अर्जुन पकड़ा गया।
अंतिम बार उसने रिया की आँखों में देखते हुए कहा –
“तुम जीत गई… लेकिन याद रखना, मैं तुम्हें कभी माफ़ नहीं करूँगा।”
रिया ने शांत स्वर में जवाब दिया –
“धोखेबाज़ इश्क़ का अंत हमेशा ऐसा ही होता है, अर्जुन।”
इसके बाद अर्जुन को जेल हो गई और रिया ने अपनी ज़िंदगी नए सिरे से शुरू की।
उसने अपने अनुभव पर एक किताब लिखी, जिसमें उसने कहा –
“प्यार सबसे खूबसूरत एहसास है, लेकिन अगर उसमें धोखा शामिल हो तो वो ज़िंदगी का सबसे बड़ा ज़हर बन जाता है।”
अर्जुन जेल में था, लेकिन उसकी चालें अभी खत्म नहीं हुई थीं।
रिया को एक दिन एक अनाम पत्र मिला। उस पर लिखा था –
“रिया, तुम सोचती हो कि खेल ख़त्म हो गया। पर असली खेल तो अब शुरू होगा। तुम्हारी हर सांस पर मेरी नज़र है।”
रिया घबरा गई। उसने पुलिस से बात की, पर जेल में चेक करने पर अर्जुन के पास कोई कागज़ नहीं मिला। सवाल ये था—ये ख़त आखिर आया कहाँ से?
रिया अपनी ज़िंदगी पटरी पर लाने की कोशिश कर रही थी। लेकिन अजीब घटनाएँ उसके आसपास होने लगीं।
घर का दरवाज़ा अपने आप खुला मिलता।
आधी रात को फ़ोन पर सिर्फ़ भारी साँसों की आवाज़ आती।
उसका लैपटॉप हैक हो गया और स्क्रीन पर सिर्फ़ लिखा आता – “धोखेबाज़ का हिसाब बाकी है।”
रिया को शक होने लगा कि अर्जुन के कोई साथी बाहर है, जो उसके लिए काम कर रहे हैं।
रिया ने सोनाली की मदद से अर्जुन का पुराना बैकग्राउंड खंगालना शुरू किया।
पता चला—अर्जुन पहले से ही कई लड़कियों को धोखा दे चुका था।
लेकिन एक नाम बार-बार सामने आ रहा था – अनामिका।
अनामिका नाम की लड़की कभी अर्जुन से पागलों की तरह प्यार करती थी। लेकिन एक हादसे में उसकी मौत हो गई थी।
लोगों का कहना था कि अर्जुन की वजह से ही वो हादसा हुआ।
रिया को समझ आया—अर्जुन का “धोखेबाज़ इश्क़” कोई नया खेल नहीं था, बल्कि उसकी आदत थी।
एक रात, रिया घर लौटी तो उसने देखा कि उसके कमरे की दीवार पर खून से लिखा था –
“अनामिका का बदला अभी अधूरा है।”
रिया के पैरों तले ज़मीन खिसक गई।
क्या वाकई अनामिका की आत्मा बदला ले रही है?
या फिर अर्जुन जेल से भी खेल चला रहा है?
तभी सोनाली ने एक बड़ा खुलासा किया –
“रिया, अनामिका मरी नहीं थी… वो ज़िंदा है।”
सच सुनकर रिया स्तब्ध रह गई।
असल में, अनामिका अर्जुन के धोखे से बच निकली थी और अब उसने अर्जुन को सबक सिखाने के लिए रिया को मोहरा बनाया।जेल से आए ख़त अनामिका ही भेज रही थी।
रात की कॉल्स और लैपटॉप हैक उसी की प्लानिंग थी।
वो चाहती थी कि अर्जुन और रिया आमने-सामने आएँ और फिर अर्जुन का सच सबके सामने आए।
आख़िरकार, पुलिस ने अनामिका की मदद से अर्जुन के गैंग का पूरा राज़ खोल दिया।
अर्जुन उम्रकैद की सज़ा पा गया।
रिया और अनामिका ने मिलकर एक NGO शुरू किया—“धोखे से मुक्ति”—जहाँ उन औरतों की मदद की जाती थी, जो प्यार में धोखे और हिंसा का शिकार हुई थीं।
कहानी यहीं खत्म हुई, लेकिन एक सीख छोड़ गई—
“प्यार अगर सच्चा हो तो ज़िंदगी संवरती है, लेकिन अगर वो धोखे पर टिका हो तो इंसान को बरबाद कर देता है।”

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